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काली से गौरी हु‌ई तजकर काली-चाम / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग पीलू-ताल कहरवा)

कालीसे गोरी हु‌ई तजकर काली-चाम।
त्वसे प्रकटी कौशिकी शक्ति-शौर्य-बल धाम॥
 आ पहुँची देवी तुरत गौरी शिवके पास।
 छायी परम प्रसन्नता शिव-मन परमोल्लास॥
 गौरीका शिवने किया निज कर शुचि श्रृंगार।
 लगा रहे अब भालपर बेंदी भव-भर्तार॥