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काश इस मोड़ पे वो दोस्त पुराना मिल जाय / अमित गोस्वामी
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काश इस मोड़ पे वो दोस्त पुराना मिल जाय
फिर से सर रख लूँ अगर फिर वही शाना मिल जाय
काश जाते हुए देखे वो पलट कर इक पल
दिल को ताउम्र धड़कने का बहाना मिल जाय
अब वो ग़ज़लें मेरी पढ़ती है न सुनती है, उसे
डर है इनमें न कहीं ख़ुद का फ़साना मिल जाय
मैंने ख़्वाबों को खुला छोड़ रखा है कि इन्हें
शायद इक दिन तेरी आँखों में ठिकाना मिल जाय
अब तो मुमकिन है कि ख़्वाबों में मयस्सर1 हो विसाल2
नींद आ जाए तो फिर लुत्फ़−ए−शबाना3 मिल जाय
1. प्राप्त 2. मिलन 3. रात का आनंद