किस क़दर ख़ुश-रंग हैं ये उड़ती फिरती तितलियां / अनु जसरोटिया
किस क़दर ख़ुश-रंग हैं ये उड़ती फिरती तितलियां
मन को भा जाती हैं मेरे आसमानी तितलियां
कुछ हैं नीली, कुछ हैं पीली, कुछ वसंती तितलियां
उड़ रहीं हैं चार जानिब सात रंगी तितलियां
तितलियों के दरमियां करती हूं जब मैं शायरी
रंग भरती हैं मेरे शे’रों में उड़ती तितलियां
मेरी बेटी इनके रंगों पर है सौ जां से फ़िदा
मेरी बेटी की बनें आ कर सहेली तितलियां
रंग भर लें ज़िन्दगी में हम सभी इन की तरह
दे रही हैं सब को ये पैग़ाम उड़ती तितलियां
सब की रंगत है जुदा इन्सां की फ़ितरत की तरह
किस ने देखीं इस जहां में एक जैसी तितलियां
इन के पंखों पर बिखेरे किस मुसव्विर ने ये रंग
किस मुसव्विर का है ये शहकार प्यारी तितलियां
क़ातिलाना हैं अदाएं पैरहन ख़ुश रंग हैं
लड़कियां कॉलेज की हैं या चलती फिरती तितलियां
शान-ओ-शौकत और बढ़ जाती है कुछ उस फूल की
जिस पर आ कर बैठ जाएं गहरी नीली तितलियां