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कुछ दिन मेरी आँखों में ये तूफ़ान रहेगा / 'महताब' हैदर नक़वी
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कुछ दिन मेरी आँखोँ मेंये तूफ़ान रहेगा
फिर शहर रहेगा न बियाबान रहेगा
ये बूँद लहू की यूँ ही हंगामा करेगी
आबाद यूँ ही खाना-ए-वीरान रहेगा
कब ग़ुन्चा-ए-उम्मीद1 खिलाये से खिला है
ये ख्वाब-ए-परेशान, परेशान रहेगा
अब वो भी बिछड़ता है, बिछड़ जाये, बला से
कुछ नफ़अ2 का सौदा है जो नुक़सान रहेगा
इस तख्त-ए-अल्फ़ाज़3 पे मह्ताब की सूरत
बिलक़ीस-ए-सुखन4 तेरा सुलेमान5 रहेगा
1-आशा की कली 2-लाभ 3-शब्दों का सिंघासन 4-यमन के एक नगर 4-सबा की महारानी 5- एक मशहूर पैगम्बर