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कैंटीन / मुकेश तिलोकाणी

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हुन जो कमु
मेल झोल कैंटीन,
चौ तरफ़ फहिलियल
टेबल कुर्सीयूं
गोल घेरे में हू।
हुनजा साथी
कठ पुतलियूं, गुॾा गुॾियूं।
हथ जे, इशारे सां
बिना पैसे शो।
आनंद माणींदड़
चोॿा, चुॿा-सुॿा, लंगूर
रुखा रुह।
फिथल वांङण।
पैसे कोप चांहि पी
सूटा हणीं, टूटा उछिले
रोज़ मिलन
कैंटीन में।