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कैजुएल लेकर / रमेश रंजक
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कैजुअल लेकर
तुम्हारे पास आना
अब नहीं भाता, नहीं भाता
(एक टेलीफ़ोन हो जाना)
प्यार,
माथे का पसीना
पोंछने के बाद की साँसें
एक रामायन
जिसे फ़ुरसत मिले तो
देर तक बाँचें
चुहल के सम्पुट लगाएँ
या
यहाँ सिक्के बनाएँ
कौन-सा रिश्ता ज़रूरी
कौन-सा नाता ?