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कैसे कहें ज़बान पर पहरा कड़ा नहीं / मेहर गेरा

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कैसे कहें ज़बान पर पहरा कड़ा नहीं
सच जानकर भी कोई यहां बोलता नहीं

बच्चे भी अब बनाएं न काग़ज़ की किश्तियाँ
पानी भी आंगनों में यहां ठहरता नहीं

अच्छा है दोस्ती का भरम रह गया जनाब
कोई भी काम आपसे मुझको पड़ा नहीं।