भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोई नया हिसाब लगाया गया है कल / फूलचन्द गुप्ता
Kavita Kosh से
कोई नया हिसाब लगाया गया है कल ।
बुझता हुआ अलाव जलाया गया है कल ।
मैं भी तमाशबीन में शामिल किया गया,
मुझको कटी ज़बान बुलाया गया है कल ।
सज़दा नशीन देश में फिर से हुआ फ़रेब,
आला हसीन ख़्वाब दिखाया गया है कल ।
घर के क़रीब, रात जलाया गया किसे ?
किसको मसान घाट बताया गया है कल ?
फिर से मशाल बोझ बताने लगे हमें,
फिर से डिफ्यूज बल्ब थमाया गया है कल ।