भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोई राधा से कह देता / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
'कोई राधा से कह देता
उसके लिए विकल है अब भी गीता-शास्त्र-प्रणेता
'यद्यपि योगेश्वर कहलाता
मैं सुख-दुःख में सम रह जाता
किन्तु ध्यान जब उसका आता
चुपके से रो लेता
'साथ रुक्मणि के भी रहकर
उसे न भूल सका मैं पल भर
आता हूँ नित यमुना-तट पर
मन की नौका खेता'
'कोई राधा से कह देता
उसके लिए विकल है अब भी गीता-शास्त्र-प्रणेता