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क्यों रास आये उनको तुर्शी कलाम की / अश्वनी शर्मा
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क्यों रास आये उनको तुर्शी कलाम की
आदत जिन्हें पड़ी हो फर्शी सलाम की।
गो बात वो करेंगे सारी अवाम की
सुनने को पर सुनेंगे शाही इमाम की।
मजबूर नंगई तो मजबूर है मगर
तस्वीर देखिये तो उनके हमाम की।
यूं नाम तो था मेरा पर सुर्ख़रू थे वो
बातें वो कर रहे थे कुछ इंतजाम की।
प्यादे ही देखिये तो शह मात कर रहे
गलियों में घूमते जो दौर-ए-निज़ाम की।