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ख़ल्वत में रहें क़ैद या जल्वत में रहें हम / फूलचन्द गुप्ता

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ख़ल्वत<ref>एकान्त, तन्हाई</ref> में रहें क़ैद या जल्वत<ref>भीड़, जमाव, अंजुमन, बज़्म</ref> में रहें हम
लाज़िम है कि आबाद दर-ओ-छत में रहें हम

अफरीते<ref>राक्षसों या अत्याचारियों का समूह</ref> तशद्दुद<ref>हिंसा, ज़ुल्म, यन्त्रणा</ref> को अगर रोक न सकें
बेहतर है, इन्तज़ार में, फुरसत में रहें हम

जरदार<ref>धनी, धनाढ्य, मालदार, दौलतमन्द, अमीर, धनवान</ref> के मरकद<ref>क़ब्र, समाधि</ref> में हों साकित<ref>निष्क्रिय, गतिहीन, निश्चल, बेहरकत, मौन, शान्त, चुप, स्तब्ध, ख़ामोश</ref> पड़े पैहम<ref>लगातार</ref>
मर्गो हयात<ref>जीवन और मृत्यु</ref>, नफ़रत-ओ- उल्फ़त में रहें हम

क़िस्से सभी अम्बोह<ref> भीड़. समुदाय, समूह</ref> के कहलाएँगे सादिक<ref>सत्यवादी, सच्चा, न्यायनिष्ठ</ref>
तू भी रहे बदनाम, गर जिल्लत में रहें हम

इस दौरे सरमाया<ref>पूंजीवादी दौर</ref> पे आ जाए जलजला<ref>भूकम्प, प्रलय</ref>
भूखे रहें देहकान<ref>किसान</ref> या किल्लत में रहें हम

शब्दार्थ
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