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ख़ुशी के बारे में / शरद कोकास
Kavita Kosh से
खुशी के बारे में सोचो
कि खुशी क्या है
सुख-सुविधाओं में जीना
ज़िम्मेदारियों से मुक्त होना
जीवन में दुख व संघर्ष का न होना
तालियाँ बजा-बजा कर भजन गाना
आँखें मून्दकर प्रसाद खाना
बच्चों से रटा हुआ पहाड़ सुनना
हर इतवार सिनेमा देखना
अपनी हैसियत पर इतराना
या फिर
खुशी केबारे में न सोचते हुए
किसी में जीने की ताक़त भर देना
किसी बुजुर्ग से दो बातें कर लेना
रोते हुए बच्चे को चुप कराना
बेसहारा का सहारा बन जाना
गोया कि इस तरह मिलीं खुशियाँ
दूसरों में बाँट देना
वह भी सोचो यह भी सोचो
खुशी के बारे में
एक बार फिर सोचो।
-1997