Last modified on 26 अगस्त 2025, at 22:33

ख़ून सींची क्यारियाँ सूखी है डाली / अमन मुसाफ़िर

ख़ून सींची क्यारियाँ सूखी है डाली
फूल कुम्हलाते गये सोया है माली

पेड़ कोई हँस रहा सामर्थ्य पाकर
सिर्फ़ उसके ही लिए है खाद डाली

हर तरफ बस झूठ का बाज़ार फैला
आजकल सच्चाई की हर बात गाली

प्रश्न के उत्तर यहाँ फिर प्रश्न ठहरे
लोग करते फिर रहे बौद्धिक जुगाली

हो रही पुनरुक्ति भावों की निरंतर
अर्थगौरव मर रहा है शब्द खाली