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खाली क्या बैठे हो कुछ काम किया करो / कबीर शुक्ला
Kavita Kosh से
खाली क्या बैठे हो कुछ काम वाम किया करो।
मिटा मिटाकर बारहाँ उसका नाम लिखा करो।
उसे हिचकियाँ आयेंगी, तुम्हारा दिल बहलेगा,
इसी बहाने कुछ दफ़ा उसका नाम लिया करो।
इन ख़तों के पुरिन्द में क्या ख़ुद को जलाना है,
अब हवाओं से अपना पैगाम लिया दिया करो।
क्या हालत बना रखे हो रान्झे मजनूँ मानिंद,
कभी ज़िन्दगी ज़रा खुलकर भी जिया करो।
यूँ तो ईद के चाँद जैसे दिखते हो कभी कभी,
मिलते हो तो दोस्त ज़रा हँस कर मिला करो।
नस्ले-नौ को कुछ नुस्खे कुछ नियमो-कायदे,
अब सिखाया करो और तुम भी सिखा करो।
महबूब से भी मिलते हो तो नज़रें झुकाकर,
अरे हरकतें तुम भी कुछ किया विया करो।