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कबीर शुक्ला
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कबीर शुक्ला
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कबीर शुक्ला / परिचय |
ग़ज़लें
- अर्ज़-ए-पाक़ पर ये हवादिशें देखा तो रो दिया / कबीर शुक्ला
- तेरी खट्टी-मिट्ठी नोंक झोंक से / कबीर शुक्ला
- दर्दे-दिल हमने दिल में ही दबाये रक्खा है / कबीर शुक्ला
- राह-ए-उल्फ़त में गुल कम / कबीर शुक्ला
- इफ़लास-ज़दा दहकानों ने ख़लिहान बेच डाला / कबीर शुक्ला
- जो ख़ुद टूटा हुआ तारा है उससे क्या माँगू / कबीर शुक्ला
- मेरे टूटे ख़्वाबों की अधूरी दास्ताँ हो तुम / कबीर शुक्ला
- आँखों आ़खो में मुहब्बत की नुमाईश की है / कबीर शुक्ला
- तू आलीशान ऐवा मैं टूटा मकाँ ठहरा / कबीर शुक्ला
- रेज़ा-रेज़ा ही दौरे-ग़मे-हयात गुजर जाने दो / कबीर शुक्ला
- महताब भी मोहताज़ होगा महबूब के दीदार का / कबीर शुक्ला
- अच्छा था बीत जातीं गर कुछ रातें और भी / कबीर शुक्ला
- मुन्तशिर कोई किस्सा-ए-पारीना हो गया हूँ / कबीर शुक्ला
- बड़ा रंग लाया हैमेरा ग़ज़ल लिखना भी / कबीर शुक्ला
- जुल्मत की धूप में पाँव जलते रहे मौला / कबीर शुक्ला
- ऐ दिल तू इबादत के लिये जायेगा किधर / कबीर शुक्ला
- इस बेनाम मुहब्बत की चलो रुसवाई ही ले चलें / कबीर शुक्ला
- चलना जरा सम्भल के पल्लू ना सरक जाये / कबीर शुक्ला
- दर्द में लिपटा हुआ है मेरा ख़्वाब कोई / कबीर शुक्ला
- मेरा महबूब मेरा हमदम चाँद के हूबहू है / कबीर शुक्ला
- रुक जा ऐ जिन्दगी अभी तेरा इन्तेहाँ बाकी है / कबीर शुक्ला
- हमसफीराने-चमन मिले पर तरो-ताजगी ना मिली / कबीर शुक्ला
- तू जो साथ नहीं मेरे तो जहाँ छोड़ जायेंगे / कबीर शुक्ला
- सूरत तो वही है जरा सीरत बदली सी है / कबीर शुक्ला
- बरहना लाश सा बना है हर बसर जमाने में / कबीर शुक्ला
- टूट टूटकर तरासा हुआ पत्थर बन रहा हूँ / कबीर शुक्ला
- यहाँ मुहब्बत भी कोई तिज़ारत से कम नहीं / कबीर शुक्ला
- आज मैं तुझे मुहब्बत का वो किस्सा सुनाता हूँ / कबीर शुक्ला
- वो इस दफ़ा लौट कर आये और सफाई दे दे / कबीर शुक्ला
- खाली क्या बैठे हो कुछ काम किया करो / कबीर शुक्ला