दर्द में लिपटा हुआ-सा है मेरा ख्वाब कोई।
जैसे लिपटा हुआ हो काँटो से गुलाब कोई।
दिल मेरा टूटा हुआ है काँच-सा हूबहू है,
दर्द देता है मुझे उस पर बेहिसाब कोई।
जिन्दगी प्यास बनी है रेत-सी सागर सी,
दर्द के स्याह में लिपटी किताब कोई।
उम्मीदे-दिल है जख्मो को मरहम देगा,
कोई इन्साँ रहमदिल याफताब कोई।
अपने सवालों के पुरिन्द में जल रहा हूँ,
कहीं नहीं मेरे सवालों का जवाब कोई।