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खुदबयानी का अलग अंदाज़ है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
खुद बयानी का अलग अंदाज़ है
इस कहानी का अलग अंदाज़ है
यूँ न स् को देख तू डर जायेगा
उस दिवानी का अलग अंदाज़ है
आसमानों का भी सीना चीर दे
नौजवानी का अलग अंदाज़ है
गुल खिला करते हैं काँटों के तले
हवा पानी का अलग अंदाज़ है
दुश्मनों को भी खिलाते रोटियाँ
मेजबानी का अलग अंदाज़ है
हैं न बर आती दुआएँ क्या करें
जिन्दगानी का अलग अंदाज़ है
रब जिलाता मुश्किलों में भी हमें
मेहरबानी का अलग अंदाज़ है