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खुद अच्छा किरदार निभायें फिर उससे उम्मीद करें / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
खुद अच्छा किरदार निभायें फिर उससे उम्मीद करें
थेाड़ा मीठा हम भी बोलें फिर उससे उम्मीद करें
इतना अधिक उजाला हो तम सारे जग का दूर भगे
पहला दीपक चलो जलायें फिर उससे उम्मीद करें
वह मेहमान है उसके आने में कुछ देर भले होगी
पहले तो मेज़बान पधारें फिर उससे उम्मीद करें
देख रहा हूँ चप्पे-चप्पे पर वे कमियाँ ढूँढ रहे
अपना अंतःकरण तलाशें फिर उससे उम्मीद करें
वो बूढ़ा बीमार है कब से , भूखा भी कितने दिन से
मदद में उसकी आगे आयें फिर उससे उम्मीद करें
प्रश्न यही है इस जंगल से सबसे पहले गुज़रे कौन
यह जोखिम हम स्वयं उठायें फिर उससे उम्मीद करें