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खो रहा आज ईमान क्यों आदमी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
खो रहा आज ईमान क्यों आदमी
भूलता अपनी पहचान क्यों आदमी
ओढ़ चिंता तनावों की चादर पड़ा
भूल बैठा है मुस्कान क्यों आदमी
वो अहिंसा के दावे सभी क्या हुए
आज लेने लगा जान क्यों आदमी
सत्य की रोशनी को बुझाने चला
है भुलाता दिशा भान क्यों आदमी
पाठ इंसानियत का नहीं याद पर
कर रहा व्यर्थ गुणगान क्यों आदमी
स्वार्थ की सीख दे गुरु कहाता वही
ले रहा इस तरह ज्ञान कयों आदमी
पूर्व पुरुषों ने वर्षों सहेजा जिसे
है मिटाता वही मान क्यों आदमी
सैनिकों का न स्वागत करो संग से
है गंवाता यों' सम्मान क्यों आदमी
देश को बाँटने की करे कोशिशें
मान से है यों अनजान क्यों आदमी