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गम का पर्वत, तम का झरना / शेरजंग गर्ग

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गम का पर्वत, तम का झरना।
कितना मुश्किल यहाँ ठहरना।

ग़ायब मस्ती इतनी पस्ती,
ख़ुद से ही घबराना डरना।

झूठ निबाहो, सच को टालो,
हो जाएगी, फ़ाँसी वरना।

मरना भी महसूस न होता,
कुछ यों धीमें-धीमें मरना।

लोग तुम्हे मूरख समझेंगे,
इंसानों-सी बात न करना।

एक नशा है यह तनहाई,
किसने सीखा नहीं उतरना।