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गरीबा / राहेर पांत / पृष्ठ - 10 / नूतन प्रसाद शर्मा

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मोर सलाह समझ ले तंय हा – तुम धनवा संग फिर जुड़ जाव
पहली के गल्ती ला भूलव, एतन बरय प्रेम के दीप।
तुम दूनों मनबोध के पालक, ओहर जीवन मं सुख पाय
ओकर भावी हा बन जाये, तुम दूनों के करतब काम।
नेक सलाह दीस दुखिया हा, फगनी हा करलिस स्वीकार
धनवा तिर जाये रजुवागे, उंकर जुड़त हे फिर संबंध।
बड़े फजर हा खुशी ला लाथय, करत गरीबा उत्तम काम
फगनी अउ मनबोध ला धरथय, धनवा के घर मं चल दीस।
धनवा हा परिवार ला देखिस, हर्षित होत खुशी भरपूर
बनत गरीबा के आभारी, मानत हे ओकर उपकार,
कथय गरीबा हा धनवा ला -”तुम्हरे से हे इरखा खूब
तुम्मन लड़ लेथव सोसन भर, तंहने फिर हो जाथव एक।
एक दुसर ले हटके रहिथव, तुम्हर बीच मं होत वियोग
पर खिंचाव आकर्षण रहिथय, आपुस बीच करत हव याद।
तंहने तुम्मन फिर मिल जाथव, होवत हवय मिलन संयोग
मन के कपट शत्रुता मिटथय, होवत नवा प्रेम संबंध।”
गीस गरीबा हा निज घर मं, दुखिया के करथय तारीफ-
“तंय हा जे उपाय जोंगे हस, ओहर सच मं हित के काम।
धनवा ठीक राह पर लगगे, ओहर लीस अपन ला पांग
ओकर सब बकचण्डी उरकिस, बिख के दांत बिना हे सांप।
अब ओकर परिवार हा जुड़गे, एकर बर तंय करे प्रयास
धनवा अगर एक झन रहितिस, बदला बर रचतिस षड़यंत्र।
धनवा जिम्मेदारी पाइस, ओहर बिधुन अपन बस काम
अपन राह पर आहय जाहय, डिगन पाय नइ ओकर पांव।
वास्तव मं एहर सच होवत, फगनी धनवा मन हें एक
ओमन सब संग काम ला जोंगत, छोड़ दीन अब अंड़ियल टेक।
“ग्राम विकास समिति’ बनवाये, सुन्तापुर मं होत चुनाव
उम्मीदवार सबोतिर जावत, फोर बतात अपन सिद्धान्त।
आखिर मं चुनाव हा होथय, ओकर निकलिस सच परिणाम
जेन सदस्य विजय ला अमरिन, ओकर नाम निम्न अनुसार –
डकहर कातिक हगरू गरीबा, झरिहारिन केंवरी धनसाय
यद्यपि एमन विजय ला पाये, पर घमंड ला राखत दूर।
धनवा हा सदस्य निर्वाचित तब कातिक ला गुस्सा।
धनवा खड़े कलेचुप लेकिन कातिक देवत गारी।
बखलिस -”अब तक ले धनवा हा, राज करिस जनता ला डांट
ओकर पास चलिस नइ ककरो, सब मानिन ओकर आदेश।
पर अब सुम्मतराज के युग हे, नवयुग के स्वागत के टेम
नवा नियम कानून बनावव, राज चलाय नया सिद्धान्त।
याने जे मनखे मन पहिली, कष्ट झेल के प्राण बचैन
ओमन अब सुख सुविधा पावंय, कांटा गड़न पाय झन गोड़।
बनंय उही मन गांव के मुखिया, उंकरे चलय नियम कानून
बोली उंकर कटन झन पावय, खुशदिल बइठंय आसन ऊंच।
धनवा के चुनाव खारिज हो, ओकर पद हा होय समाप्त
हमर गोड़ मं धनवा बइठय, ओहर करय हमर सम्मान।”
मेहरू कथय -”अनुभवी धनवा, ओकर गुन के मिलिहय लाभ
ओकर ठीक सलाह ला मानन, हम नइ मानन गलत सुझाव।
अपन राज हम पाये हन अभि, करत घमंड बतावत टेस
निर्णय गलत हमन ले सकथन, काम बिगड़ रुक जहय विकास।
जहां गलत निर्णय हम लेवन, धनवा हा मारय फट रोक
धनवा अउ हम सब दल दिल मिल, काटन गांव के बिपदा दोख”
नेक गोठ हा भींजिस तंहने, कातिक करिस तथ्य स्वीकार
नवा व्यवस्था के रक्षा बर, मिहनत करत देंह ला गार।
इही बीच मं पिनकू आथय, टहलू बोधनी संग मं अैतन
हिरदे ले स्वागत होवत हे, एकोकन दुरछुर नइ होत।
पिनकू मेटाडोर ला लाये, जेहर ओकर खुद के आय
मेटाडोर मं बइठे अब तक, मुसकावत डकहर ला देख।
डकहर हंस पिनकू ला कहिथय -”उतर भला तज मेटाडोर
भेंट होत हे कतको दिन मं, चल गोठियाबो दिल ला खोल।
अब हम तुम सब एके अस अन, कपट भेद दुश्मन अस दूर
अपन बिपत ला तंय हा फुरिया, कष्ट सुने बर हम तैयार।”
पिनकू मेटाडोर ले उतरिस, डकहर तिर जा हेरिस बोल-
“मनसे हा कहुंचो रहि सकथय, खा पी सकथय महिनत जोंग।
मगर गांव मं बसना चाहत, अब नइ चहत जांव अउ ठौर
मोला इहां काम का मिलिहय, जेवन मिलिहय का भरपेट?”
डकहर बोलिस -”तंय शिक्षित हस, गांव चहत हे गुन ला तोर
अब हमला उन्नति करना हे, करबे मदद लगा के बुद्धि।”
पिनकू मेटाडोर बिसाये, शासन तिर ले लागा मांग
गांव पटाहय अब कर्जा ला, मेटाडोर गांव के होत।
टहलू बोधनी ठाढ़े ते कर केंवरी हा गिस लौहा।
उंकर साथ हंस के बोलत हे बिसरे पूर्व के गुस्सा।
कथय बोधनी हा केंवरी ला -”हम कमाय बर मुम्बई गेन
उहां कमाय गजब मिहनत कर, वास्तव मं कुहकुह थक गेन।
पर अब विवश हवन निर्बल अस, इहां बिलम सकथन कुछ माह
जे रुपिया गठिया लाये हन, ओमां हवय हमर अधिकार।
रुपिया फेंक अनाज बिसाबो, कुछ दिन मं सब नोट खलास
तंहने हम फिर मुम्बई जाबो, करबो उहां मरत ले काम।”
कथय बोधनी हा केंवरी ला -”बचे हवय जतका अस उम्र
इंहचे रहि के जीना चाहत, हम नइ चहत जान अउ ठौर।
मगर हमर नइये घर डोली, ना मितवा न सहायक एक
तब हम वापिस मुम्बई जाबो, उंहचे छुटही हमर परान।”