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गरीबा / लाखड़ी पांत / पृष्ठ - 19 / नूतन प्रसाद शर्मा

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भोला लाला – लपटी करथय, तब तीनों झन हेरिन राह
किहिस बीरसिंग हा घुरुवा ला -”तंय झन धर थाना के राह।
जान लेन हम सच बिखेद ला, आरक्षक के हे अनियाव
पर तंय ओला क्षमा दान कर, ओकर रोटी ला झन छीन।
अगर रिपोर्ट लिखावत तंय हा, सिद्ध हो जाहय सब आरोप
भोला के जीविका छिनाहय, ओकर पर दुख के बरसात।
लेकिन तंय कुछ लाभ पास नइ, तेकर ले जिद्दी पन छोड़
भोला के गल्ती माफी कर, अपन बुद्धि ला रख ले शांत।”
घुरुवा बड़ मुश्किल मं मानिस, भूल गीस खैरागढ़ जाय
तंहने भोला कपट ला मन रख, हाथ मिला के वापिस गीस।
खैरागढ़ मं पहुंच के देखिस, आय बीरसिंग घलो इहेंच
सोचत हे भोला हा मन मन – “बच नइ पाय मोर अब घेंच।
घुरुवा खैरागढ़ नइ आइस, मगर बीरसिंग ला भेजीस
अब एहर रिपोर्ट लिखवाहय, मोर विरुद्ध मं तथ्य सहेज।
एकर पूर्व जांव मंय थाना, उहां करंव मंय उल्टा जिक्र
तब आफत हा मुड़ी आय नइ, मंय निबरित होहंव सब फिक्र।”
भोला हा थाना मं झप गिस, उहां मुलू हे थानेदार
पन्थू अउ हूमन मन हाजिर, उंकर साथ आरक्षक और।
भोला झूठ शब्द ला मेलिस, प्राथमिकी ला दर्ज करैस –
“मोला घुरुवा मगन बीरसिंग, अउ बिसनाथ खूब गुचकैन।
तोर प्राण ला हम्मन लेबो, अइसे चारों धमकी दीन
दइया – मंइया घलो खूब बक, शासन काम मं बाधा दीन।
ओतिर रिहिन गांव के मनखे, पल्टन अउ बुलुवा कोतवाल
लेव उंकर ले फुराजमोरवी, मोर बात के दिहीं प्रमाण।”
थाना मं रिपोर्ट लिखवाथय हर दिन कतको प्राणी।
मगर पुलिस नइ झांकय उनकर होवय नइ सुनवाई।
पर भोला हा आरक्षक ए, ओहर कलपिस ढाढ़ा कूट
थानेदार मुलू हा सुनथय, तंहने कथय क्रोध मं कांप –
“दंगा हा भड़कत आगी अस, तेला दउड़ कराथन शांत
आंदोलन ला हमीं दबाथन, जनता के सेवक हम आन।
लेकिन आज होय हे उल्टा – होय हमर पर अत्याचार
भोला के मरुवा ला धर के, देहाती मन झोरिन खूब।
तब देहाती सजा पांय अब, ओमन ला धर के झप लाव
उंकर इहां रगड़ा ला टोरव, एको कनिक मरव झन सोग।”
पन्थू – हूमन अउ आरक्षक, डग्गा मं बइठिन तत्काल
खैरागढ़ ले वाहन रेंगिस, पहुंचिस बन्दबोड़ देहात।
आरक्षक मन घुरुवा के घर गिन, ओतका बखत रात के टेम
पन्थू हा घुरुवा ला बोलिस, मीठ शब्द मं कपट ला मेल –
“तंय हा हमर साथ थाना चल, उहां हवय तोर अभी बलाव
हम आरक्षक तोर हितू अन, एको कनिक अहित नइ होय।”
घुरुवा पूछिस -”बता भला तंय – मंय हा थाना काबर जांव
उहां मोर कुछ बूता नइये, तब का कारण चक्कर खांव!
आरक्षक पर रिहिस हे गुस्सा, जावत रेहेंव रिपोर्ट लिखाय
पर समझौता होगिस तंहने, छोड़ देंव खैरागढ़ जाय।
भोला से नइ कुछुच शिकायत, ओकर दोष क्षमा कर देंव
भोला अगर मोर घर आहय, दुहूं खाय बर गांकर साग।”
हूमन किहिस – “निष्कपट अस तंय, भोला ला माफी कर देस
लेकिन हम्मन कइसे छोड़न, हम मानत हन अति गंभीर।
आय पुलिस जनता के रक्षक, कई करतब हे ओकर पास
अतियाचारी – अपराधी ले, ओहर करत सुरक्षा दान।
पर भोला ए गांव मं धमकिस, करिस स्वयं अपराधिक काम
ओकर गलत काम ले होवत, पुलिस विभाग बहुत बदनाम।
थानेदार क्रोध मं उबलत, भोला पर हे सख्त नराज
भोला खत्तम सजा पाय कहि, ओहर करत उदिम गंभीर।
साहेब हा बलाय हे तोला, हमर साथ तंय निश्चय रेंग
सत्तम बात ला उंहचे ओरिया, एको कनिक लुका झन राख।”
घुरुवा हा डग्गा मं बइठिस – वाहन रेंगिस आगू।
आरक्षक मन खुशी मनावत – सफल चले हें पासा।
एमन अब सुन्तापुर पहुंचिन, आरक्षक मन खेलत दांव
मगन अउर बिसनाथ ला बलवा, उंकर साथ बोलत हे मीठ।
पन्थू हा ओमन ला बोलिस -”थाना मं हे तुम्हर बलाव
हमर साथ डग्गा मं बइठव, लेग जबो इज्जत के साथ।”
मगन किहिस -”हम कहां लड़े हन, ककरो संग नइ होय विवाद
सब मनखे संग हली भली हन, तब फिर काबर थाना जान!”
हूमन बोलिस -”लुक लेव तुम, पर रहस्य हा खुलगे साफ
गीस बीरसिंग हा थाना मं, खोल दीस भोला के पोल।”
अब बिसनाथ हो जाथय चकरित – “यदि सच तब बताव तुम खोल
थाना मं अभि बीरसींग हे, मगर करत का ओइसन ठौर?”
पन्थू पुलिस जाल ला फेंकिस -”हमर बात पर कर विश्वास
एतन आय राह पकड़े तब, थानेदार – बीरसिंग साथ।
ओमन हंस – हंस चाय ला पीयत, करत रिहिन भोला के गोठ
उंहे बीरसिंग फोर बता दिस, बन्दबोड़ घटना के हाल।”
बोलिस मगन -”होय ते होगे, प्रकरण पर अब परगे छेंक
मान – मनौव्वल होय दुनों मं, भोला घुरुवा बनिन मिलान।
तब प्रकरण ला कार बढ़ावत, ओमां अब लग जाय विराम
भोला ऊपर कष्ट आय झन, ओहर सुख के बासी खाय।”
हूमन कथय -”बोल झन हमला, यदि भोला पर दया देखात
सोचत – बचय जीविका ओकर, तब फिर चलव हमर संग दौड़।
थानेदार ला जम्मों कहि दव, ओहर मान लिही सब गोठ
तब भोला के अहित होय नइ, ओला तुम बचाव मर सोग।”