भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गर तुझसे मुझे इतनी मोहब्बत नहीं होती / 'महताब' हैदर नक़वी
Kavita Kosh से
गर तुझसे मुझे इतनी मोहब्बत नहीं होती
यूँ रंज उठाने में भी लज़्ज़त नहीं होती
क्यों वस्ल के असबाब1 बना करते हैं हर शब
क्यों हिज्र की पूरी कभी मुद्दत नहीं होती
अब उसकी कोई बात भी दिल को नहीं भाती
अब उसकी किसी बात में शिद्दत नही होती
ये दिल है कि जो टूट गया, टूट गया बस
शीशे की किसी तौर मरम्मत नहीं होती
फिर कौन तुझे मानता यकता-ए-ज़माना2
अशाअर में तेरे जो ये जिद्दत नहीं होती
1-संसार में अद्वितीय2-अनोखापन