गहौ मन सब रसको रस सार।
लोक बेद कुल करमै तजिये, भजिये नित्य बिहार॥
गृह कामिनि कंचन धन त्यागौ, सुमिरौ स्याम उदार।
कहि हरिदास रीति संतनकी, गादीको अधिकार॥
गहौ मन सब रसको रस सार।
लोक बेद कुल करमै तजिये, भजिये नित्य बिहार॥
गृह कामिनि कंचन धन त्यागौ, सुमिरौ स्याम उदार।
कहि हरिदास रीति संतनकी, गादीको अधिकार॥