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ग़ज़लकार सब लगे हुए फ़नकारी में / डी. एम. मिश्र

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ग़ज़लकार सब लगे हुए फ़नकारी में
पर, हम लेकर खुरपी बैठे क्यारी में

मिले प्यार से नन्हकू, झिनकू , जुम्मन खाँ
फिर लग गयी चौपाल किसी बसवारी में

उधर गाँव के लड़कों की टोली निकली
इधर तितलियाँ नाच रहीं फुलवारी में

किसी अप्सरा इन्द्रपरी में बात कहाँ
यहाँ बात जो अपनी रामदुलारी में

कभी ज़ीस्त से हमने दो-दो हाथ किये
कभी खो गये बच्चों की किलकारी में

मगर एक दिन चाँद सितारे छूने हैं
हसीं ख़्वाब बुनने की हम तैयारी में