Last modified on 2 जनवरी 2017, at 10:20

ग़ज़ल बड़ी कहो मगर सरल ज़बान रहे / डी. एम. मिश्र

ग़ज़ल बड़ी कहो मगर सरल ज़बान रहे
उठाओ सर तो हथेली पे आसमान रहे।

हज़ार मुश्किलें भी ज़िंदगी में आयेंगी
दुआ करो कि ख़ुदा हम पे मेहरबान रहे।

ख़त्म हो जाय भले मान , पद , प्रतिष्ठा सब
मैं रहूँ या न रहूँ पर मेरा ईमान रहे।

ख़ु़दा से माँगना हो कुछ तो यही मागूँगा
क़ब्र में जा के भी ज़िंदा मेरा इन्सान रहे।