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गाँधी के इस देश में / ज्योति खरे
Kavita Kosh से
गाँधी के
इस देश में
सुबह-सुबह पढ़ते ही समाचार
शर्म से झुक जाते हैं सिर
अन्धे, गूँगे, बहरे
चौराहों पर
भीड़
दहशत में मौन है
गाँधी के
इस देश में
कब, किसका, कौन है ?