गाबरू गोरा-गोरा, बड़ा हँस खोरा छोरा, जगा कै ऊठग्या
दिल लूट गया, फेर टूट गया, रंगदार सपना
सखी री ला ग्या फटकार सुपना, हाय सपना...टेक
जाणु चौबारे में सेज घली एक छलिये ने सुपने में आण छली,
डली मिसरी की घुलगी, फेर मेरी आँख खुलगी,
करग्या जुल्म की मार सपना...
ऐसी ला ग्या उचाटी तन मैं, बैरी अब तै फिरै से मन-मन मैं
सुपने में दिया दिखाई, मेरी नणदी का भाई,
सुख की बिताग्या घड़ी चार सपना...
बड़ा आनन्द लिा मुलाकात मैं, सौ-सौ खुशी घुसी थी गात मैं
हाथ मैं हाथ दिख्या, करता बात दिख्या,
साजन मेरे की उनिहार सपना...
दयाचन्द मधुर सुर कंठ मैं, जैसे महक सुरैया सन्ट मैं
मिन्ट में खेल बिगड़ग्या, मिल के मेल बिगड़ग्या
साची कहें यो संसार सपना...