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गिलास भर नर्मदा / प्रेमशंकर रघुवंशी

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बिन्नू गिलास-भर नर्मदा लाई
और दे गई जीवन मुझे

अब प्याला-भर चाय लाएगी
और महँगाई का राग अलापेगी ।