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गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 26 से 35/पृष्ठ 3
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पथिक पयादे जात पङ्कज-से पाय हैं |
मारग कठिन, कुस-कण्टक-निकाय हैं ||
सखी! भूखे-प्यासे, पै चलत चित चाय हैं |
इन्हके सुकृत सुर-सङ्कर सहाय हैं ||
रुप-सोभा-प्रेमके-से कमनीय काय हैं |
मुनिबेष किये, किधौं ब्रह्म-जीव-माय हैं ||
बीर, बरियार, धीर, धनुधर-राय हैं |
दसचारि-पुर-पाल आली उरगाय हैं ||
मग-लोग देखत करत हाय हाय हैं |
बन इनको तो बाम बिधि कै बनाय हैं ||
धन्य ते, जे मीन-से अवधि अंबु-आय हैं |
तुलसी प्रभुसों जिन्हहूँके भले भाय हैं ||