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गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 26 से 35/पृष्ठ 2

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रागभैरव

देखि! द्वै पथिक गोरे-साँवरे सुभग हैं |
सुतिय सलोनी सङ्ग सोहत सुभग हैं ||

सोभासिन्धु-सम्भव-से नीके नीके नग हैं |
मातु-पितु-भाग बस गए परि फँग हैं ||

पाइँ पनह्यो न, मृदु पङ्कज-से पग हैं
रुपकी मोहनी मेलि मोहे अग-जग हैं ||

मुनि-बेष धरे, धनु-सायक सुलग हैं |
तुलसी-हिये लसत लोने लोने डग हैं ||