भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीतावली उत्तरकाण्ड पद 11 से 20 तक/पृष्ठ 1

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(11)
राग ललित
आज रघुपति-मुख देखत लागत सुख
सेवक सुरुष, सोभा सरद-ससि सिहाई |
दसन-बसन लाल, बिसद हास रसाल
मानो हिमकर-कर राखे राजीव मनाई ||

अरुन नैन बिसाल, ललित भ्रुकुटि, भाल
तिलक, चारु कपोल, चिबुक-नासा सुहाई |
बिथुरे कुटिल कच, मानहु मधु लालच अलि,
नलिन-जुगल उपर रहे लोभाई ||

स्रवन सुन्दर, सम कुण्डल कल जुगम,
तुलसिदास अनूप, उपमा कही न जाई |
मानो मरकत सीप सुन्दर ससि समीप
कनक मकरजुत बिधि बिरची बनाई ||