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(वर्षा-वर्णन 3)
गृह-गृह रचे हिडोलना, महि गच काँच सुढार |
चित्र बिचित्र चहू दिसि परदा फकि-पगार ||
सरल बिसाल बिराजहीं बिद्रुम-खम्भ सुजोर |
चारु पाटि पटि पुरटकी झरकत मरकत भौंर ||
मरकत भवँर डाँड़ी कनक मनि-जटित दुति जगमगि रही |
पटुली मनहु बिधि निपुनता निज प्रगट करि राखी सही ||
बहुरङ्ग लसत बितान मुकुतादाम-सहित मनोहरा |
नव-सुमन-माल-सुगन्ध लोभे मञ्जु गुञ्जत मधुकरा ||