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गीतावली उत्तरकाण्ड पद 11 से 20 तक/ पृष्ठ 11
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(वर्षा-वर्णन 3)
	गृह-गृह रचे हिडोलना, महि गच काँच सुढार |
	चित्र बिचित्र चहू दिसि परदा फकि-पगार ||
	सरल बिसाल बिराजहीं बिद्रुम-खम्भ सुजोर |
	चारु पाटि पटि पुरटकी झरकत मरकत भौंर ||
	मरकत भवँर डाँड़ी कनक मनि-जटित दुति जगमगि रही |
	पटुली मनहु बिधि निपुनता निज प्रगट करि राखी सही ||
	बहुरङ्ग लसत बितान मुकुतादाम-सहित मनोहरा |
	नव-सुमन-माल-सुगन्ध लोभे मञ्जु गुञ्जत मधुकरा ||
	
	