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गीतावली उत्तरकाण्ड पद 31 से 40 तक/ पृष्ठ 6
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बालक सीयके बिहरत मुदित-मन दोउ भाइ |
नाम लव-कुस राम-सिय अनुहरति सुन्दरताइ ||
देत मुनि मुनि-सिसु खेलौना, ते लै धरत दुराइ |
खेल खेलत नृप-सिसुन्हके बालबृन्द बोलाइ ||
भूप-भूषन-बसन-बाहन, राज-साज सजाइ |
बरम-चरम, कृपान-सर, धनु-तून लेत बनाइ ||
दुखी सिय पिय-बिरह तुलसी, सुखी सुत-सुख पाइ |
आँच पय उफनात सीञ्चत सलिल ज्यों सकुचाइ ||