भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घर से बाहर नहीं निकलना, आज शहर में कर्फ्यू है / ऋषभ देव शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
घर से बाहर नहीं निकलना, आज शहर में कर्फ्यू है
लक्ष्मण रेखा पार न करना, आज शहर में कर्फ्यू है

माना चीनी नहीं मिल रही, माना दूध नहीं घर में
फिर भी अच्छा नहीं मचलना, आज शहर में कर्फ्यू है

मस्जिद में अल्लाह न बोला, राम न मंदिर में डोला
खून किया धर्मों ने अपना, आज शहर में कर्फ्यू है

संप्रदाय की मदिरा पीकर, आदम आदमख़ोर हुआ
छाया पर विश्वास न करना, आज शहर में कर्फ्यू है

नोट-वोट का शासन बोले, अलगावों की ही भाषा
इस भाषा को हमें बदलना, आज शहर में कर्फ्यू है

गिरे घरानों का अनुशासन, नारों का जादू टूटे
जनगण सीखे स्वयं सँभलना, आज शहर में कर्फ्यू है