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चतरा खुश छै / विजेता मुद्गलपुरी
Kavita Kosh से
चतरा
जे आजकाल
केक्टस के नाम से
फूल के श्रेणी में आय गेलै
स्वीकृति पाय गेलै
धीरे-धीरे वंश विस्तार भे रहलै
ऊ चिढ़ाबै छै
कँटरेंगनी के काँटा
अपना के फूल बताबै छै
अंदेखी करै छै
ओक्कर आयुर्वेदिक महत्व के
देखा हिसकी
कँटरेंगनी
अप्पन अपेक्षित महत्व भुलाय के
अनपेक्षित महत्वाकाँक्षा में जीये लागलै
इतर सुरा पीये लागलै
ऐ कारण
कँटरेंगनी
सब के गोर में नै
आँख के चुभे लागलै
चतरा खुश छै
अपना के गमला में
आरो
कँटरेंगनी के नाली के पास परल देख के
चतरा बहुत खुश छै