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चलत मुसाफ़िर मोह लियो रे पिंजरे वाली मुनिया /शैलेन्द्र
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चलत मुसाफ़िर मोह लियो रे पिंजड़े वाली मुनिया
उड़ उड़ बैठी हलवइया दुकनिया
हे रामा!!!!
उड़ उड़ बैठी हलवइया दुकनिया
आरे!!
बरफ़ी के सब रस ले लियो रे
पिंजड़े वाली मुनिया
अ हे अ हे ... हे रामा
उड़ उड़ बैठी बजजवा दुकनिया
आहा!!!!
उड़ उड़ बैठी बजजवा दुकनिया
आरे!
कपड़ा के सब रस ले लियो रे
पिंजड़े वाली मुनिया
जियो जियो पलकदस जियो!!
उड़ उड़ बैठी पनवड़िया दुकनिया
हे रामा!!!!
उड़ उड़ बैठी पनवड़िया दुकनिया
आरे!!
बीड़ा के सब रस ले लियो रे
पिंजड़े वाली मुनिया