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चली कौन से देश गुजरिया तू सज-धज के / शैलेन्द्र

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चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के
जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज-धज के
चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के

छलकें मात-पिता की अँखियाँ
रोवे तेरे बचपन की सखियां
भैया करे पुकार हो
भैया करे पुकार ना जा घर-आंगन तज के
जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज-धज के
चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के

दूर देश मेरे पी की नज़रिया
वो उनकी मैं उनकी संवरिया
बांधी लगन की डोर हो
बांधी लगन की डोर मैंने सब सोच\-समझके
जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज\-धज के
चली कौनसे देश गुजरिया तू सज\-धज के

दो दिन जग में धूम मचायें
जा के कोई वपस न आये
खोज खोज थक जायें हो
खोज खोज थक जायें दो नैना चाँद सुरज के
जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज-धज के
चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के