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चांद बोला पागल को / मरीना स्विताएवा
Kavita Kosh से
यहीं रहेंगे
जो गुँथे हुए हैं इस जगह से ।
आगे ऊँचाईयाँ हैं
यदि खो जाए आख़िरी बार स्मरणशक्ति
तुम पुन: होश में आना नहीं।
मित्र नहीं होते
प्रतिभाओं और पागलों के।
अन्तिम ज्ञान-प्राप्ति के अवसर पर
ज्ञान तुम प्राप्त करना नहीं।
मैं- आँखें हूँ तुम्हारी
छतों की उल्लू-दृष्टि।
पुकारेगा जब कोई तुम्हारा नाम-
तुम सुनना नहीं।
मैं आत्मा हूँ तुम्हारी : यूरेनस
देवत्व का द्वार।
मिलन के अन्तिम अवसर पर
तुम परखना नहीं ।
यूरेनस= यहाँ यूरेनस का उल्लेख सम्भवत: एफ़्राडायटी के लिए है।
रचनाकाल : 20 जून 1923
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह