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चाल / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
Kavita Kosh से
उसकी रफ्तार तेज़ थी मेरी धीमी
वो इसलिए भी तेज़ चलता था कि मैं पिछड़ जाऊँ
वह बहुत दौड़ा मुझसे आगे निकल गया
दाम नाम काम सब में
पर अब वह थक कर बैठ गया है
हाँफ रहा है चल नहीं सकता
पर मैं धीमी चाल से अब भी चल रही हूँ
मैंने किसी से बराबरी नहीं की
मैंने किसी को रोका नहीं
तो मैं किसी के रोके रुकी भी नहीं