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चिन्तन किया श्यामने / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(राग जोग-तीन ताल)
चिन्तन किया श्यामने, मुनिवर नारद आ पहुँचे तत्काल।
पूजा विधिवत् कर पहनायी मुनि-सुकण्ठमें सुरभित माल॥
भोजन रुचि-अनुकूल कराया, सत्याने पति-आज्ञा जान।
धेनु सहस्र स्वर्णमणि-पर्वत सह कर दिया कृञ्ष्णको दान॥
मुनिने हँसकर कहा-’हो गये अब हरि ! तुम मेरे आधीन।
आज्ञा पालन करो’-किया स्वीकार कृञ्ष्णने समुद अदीन॥
तब मुनिने सवत्स कपिला गौको निष्क्रय का मान विधान।
मुक्त किया हरिको, फिर पाया उनसे मनचाहा वरदान॥