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चिरंजीवी वासुदेव के प्रथम पुत्र जन्मोत्सव दिन लिखित-सोहर / प्रेमघन
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हे सब सखियाँ सहेली रे बेगि चलि आवहु रे।
(मोरी सखियाँ)
मोरे घरे आनन्द बधैया रे सबै मिलि गावहु रे॥टेक॥
आजु भए विधि दिहिन होरिला जनम भये रे।
भरि भरि कोछवाँ लै आओ, मोहरिया लुटावहु रे।
सब मिलि सैयाँ के लिआवो रे, बेगि धरि ल्यावहु रे।
जाचक करहिं निहाल, कसकिया मिटावहु रे।
वेगि बोलाओ ना ढाडीनियाँ रे, नचाओ ना अगनवाँ रे।
वेगि बधैया कै बाजनवां रे, दुवरवां बजावहु रे।
गौरी गनेस के मनाओ बलकवा मोर जी अहिरे।
सब मिल देहु असीस आनन्द बढ़ावहु रे॥