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चौथा आदमी / निदा फ़ाज़ली

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बैठे-बैठे यूँ ही क़लम लेकर
मैंने काग़ज़ के एक कोने पर
अपनी माँ
अपने बाप... के दो नाम
एक घेरा बना के काट दिए
और
उस गोल दायरे के क़रीब
अपना छोटा नाम टाँक दिया
मेरे उठते ही मेरे बच्चे ने
पूरे काग़ज़ को ले के फाड़ दिया।