तमाम घने जंगलों में,
इक जंगल मैं भी हूँ, न काटे जाने
के प्रयास में प्रयत्नशील
दोनों हाथों से निरन्तर
नन्हीं-नन्हीं बाड़ लगाने का
प्रयास, सफ़लता !
कौन जाने ?
तमाम घने जंगलों में,
इक जंगल मैं भी हूँ, न काटे जाने
के प्रयास में प्रयत्नशील
दोनों हाथों से निरन्तर
नन्हीं-नन्हीं बाड़ लगाने का
प्रयास, सफ़लता !
कौन जाने ?