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जन्म पाया है जियें संसार के कारण / रंजना वर्मा

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जन्म पाया है जियें संसार के कारण
जन्मदाता ईश के सत्कार के कारण

अर्ध नारीश्वर बनो शिव शम्भु के जैसे
हो जगत कल्याण तव व्यवहार के कारण

आ गया ऋतुराज फिर संसृति सजाने को
वन लुटाते पुष्प हैं उपहार के कारण

खिल रहे टेसू लुभाने के लिये लेकिन
हो रहे बदनाम सब अंगार के कारण

भूमि सारी दलदली है डूब जायेंगे
कीजिये कुछ सृष्टि के प्रति प्यार के कारण

है बदलती करवटें बेदर्द दुनियाँ भी
मन नहीं विश्वस्त है अभिचार के कारण

हो गये विश्वासघाती शठ हृदय सारे
स्वार्थमय सब लोग भ्रष्टाचार के कारण