भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जन्म पाया है जियें संसार के कारण / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
जन्म पाया है जियें संसार के कारण
जन्मदाता ईश के सत्कार के कारण
अर्ध नारीश्वर बनो शिव शम्भु के जैसे
हो जगत कल्याण तव व्यवहार के कारण
आ गया ऋतुराज फिर संसृति सजाने को
वन लुटाते पुष्प हैं उपहार के कारण
खिल रहे टेसू लुभाने के लिये लेकिन
हो रहे बदनाम सब अंगार के कारण
भूमि सारी दलदली है डूब जायेंगे
कीजिये कुछ सृष्टि के प्रति प्यार के कारण
है बदलती करवटें बेदर्द दुनियाँ भी
मन नहीं विश्वस्त है अभिचार के कारण
हो गये विश्वासघाती शठ हृदय सारे
स्वार्थमय सब लोग भ्रष्टाचार के कारण