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गीतिका-गुंजन / रंजना वर्मा
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गीतिका-गुंजन / रंजना वर्मा
रचनाकार | रंजना वर्मा |
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प्रकाशक | साई प्रकाशन, फैज़ाबाद, उ. प्र. |
वर्ष | 2018 |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- माँ तुम्हारे द्वार आना चाहती हूँ / रंजना वर्मा
- है प्रतीक्षा तुम्हारी हमेशा रही / रंजना वर्मा
- अपना कौन कौन है दूजा / रंजना वर्मा
- अँधेरी निशा में घने बादलों से / रंजना वर्मा
- है जन्म पाया इस धरा पर सिर उठा अभिमान से / रंजना वर्मा
- तुम जो आओ बहार आ जाये / रंजना वर्मा
- प्रेम जल से भरा शुद्ध मन चाहिये / रंजना वर्मा
- यूँ तो दिखायी देता मौसम बड़ा सुहाना / रंजना वर्मा
- एक टीका हो भाल होली में / रंजना वर्मा
- जन्म पाया है जियें संसार के कारण / रंजना वर्मा
- कन्हैया मधुर नाम जप की नदी में / रंजना वर्मा
- मानवता का आज हो रहा धरती पर अपमान / रंजना वर्मा
- झूठी न कोई बात बनाने की बात कर / रंजना वर्मा
- दरश के लिये आज जिद पर अड़ा है / रंजना वर्मा
- अगर खुद से हमारी आप ही पहचान हो जाये / रंजना वर्मा
- श्यामसुन्दर के चरण में सिर झुकाते रह गये / रंजना वर्मा
- आपकी आँख में जो नमी थी दिखी / रंजना वर्मा
- साँवरे को हम मुहब्बत में रिझाते रह गये / रंजना वर्मा
- रखिये हृदय पवित्र नित ,यह ही सच्चा ज्ञान / रंजना वर्मा
- खुद के हाथों ही खुशियाँ मिटाते बहुत / रंजना वर्मा
- हँसकर रोकर मुखड़ा धोकर यों ही जीवन कट जाता है / रंजना वर्मा
- जीवन का विश्वास सौंपने जब आओगे / रंजना वर्मा
- मन ही मन तुमसे बतियाना अच्छा लगता है / रंजना वर्मा
- पीर अपनी बड़ी पुरानी है / रंजना वर्मा
- हर किसी को अब परायी सी लगें पगडंडियाँ / रंजना वर्मा
- तेल दीपक में डाला नहीं था / रंजना वर्मा
- हर कहानी है अधूरी और प्यासा हर अधर है / रंजना वर्मा
- दीप जलते रहे उम्र ढलती रही / रंजना वर्मा
- तुम छोड़ मेरा हाथ यूँ आगे निकल गये / रंजना वर्मा
- दुख में भी मुस्काना आता / रंजना वर्मा
- चन्द्र दीपक रात भर जलता रहा / रंजना वर्मा
- घटा ने चाँद को छेड़ा / रंजना वर्मा
- माँ सरस्वति का सुभग सिंगार है हिंदी / रंजना वर्मा
- है अगर जाना तो हैं वो पास आते क्यों / रंजना वर्मा
- हर किसी को देश पर अभिमान होना चाहिये / रंजना वर्मा
- कन्हैया तुम्हारा सहारा सदा / रंजना वर्मा
- आये नित्य बसन्त खिला मधुमास रहे / रंजना वर्मा
- मदभरी यामिनी हो गयी / रंजना वर्मा
- इस समाज मे हर इक प्राणी / रंजना वर्मा
- साँवरे हमे सदा स्नेह युक्त हास दो / रंजना वर्मा
- घनश्याम मदनमोहन प्यारे / रंजना वर्मा
- फ़ैसले जिंदगी के अटल हो गये / रंजना वर्मा
- रहिये हमेशा कर्मरत यह कर्म ही तो धर्म है / रंजना वर्मा
- हम स्वयं के पास आना सीख लें / रंजना वर्मा
- साँवरे से प्रीति का बन्धन बंधेगा एक दिन / रंजना वर्मा
- सुख दुःख सहते एक समान / रंजना वर्मा
- यह प्रगति पथ पर बढ़ेगा देखना / रंजना वर्मा
- आज आयी दिवाली मधुर रात है / रंजना वर्मा
- बच्चों की किलकारी से ही, माता का संसार है / रंजना वर्मा
- घनश्याम कन्हैया तो दुनियाँ से निराला है / रंजना वर्मा
- स्वप्न आंखों में सजाना छोड़ दे / रंजना वर्मा
- देशवासी हैं सदा देते उसी को मान / रंजना वर्मा
- है न बादल कहीं अरु न बरसात है / रंजना वर्मा
- शिव शीश सजा नाग गंग-धार ही नहीं / रंजना वर्मा
- जो लगन लग गयी श्याम के प्यार की तो जमाने से रिश्ता भुलाने लगे / रंजना वर्मा
- फिर स्वप्नों की धूप खिली है / रंजना वर्मा
- स्वप्न हैं अरमान हैं प्यारे वतन तेरे लिये / रंजना वर्मा
- गीत हर रोज़ गुनगुनाती है / रंजना वर्मा
- है न जाने क्या धुन जो कहीं खो रहा / रंजना वर्मा
- मूक वेदना सहती प्रतिपल है दिल की धड़कन / रंजना वर्मा
- एक बार इस युग मे भी यदि, श्याम बाँसुरी बज जाती / रंजना वर्मा
- आओ मोहन पास हमारे ,करो न अब तक़रार / रंजना वर्मा
- अधर पर ठहरी हुई एक प्यास है / रंजना वर्मा
- सुनो यशोदा नन्द दुलारे, मन मोहन गोपाल / रंजना वर्मा
- बिछाती है माया यहाँ नित्य जाल / रंजना वर्मा
- नया फिर आँख में सपना सजाना है / रंजना वर्मा
- श्याम सुन्दर के चरण में सिर झुकाने के लिये / रंजना वर्मा
- दिन गया शाम ढलने लगी / रंजना वर्मा
- भटक कर जंगलों में कोई' रस्ता आम तो ढूँढें / रंजना वर्मा
- अब धरा फिर से संवारी चाहिये / रंजना वर्मा
- जीवन का हर पल है मधुरिम हमने ही कम जाना / रंजना वर्मा
- सुखों से यदि भरा संसार होता / रंजना वर्मा
- जीवन में हर जन का सुख सम्मान रहे / रंजना वर्मा
- जिसको जग में घनश्याम मिले / रंजना वर्मा
- जो चाहते कुछ भी नहीं करते सतत उपकार हैं / रंजना वर्मा
- जो रहा अपना पराया हो गया / रंजना वर्मा
- सलोने प्यार में तेरे जमाना भूल जाती हूँ / रंजना वर्मा
- विधि ने स्वयं जिसे है निज हाथ से सँवारा / रंजना वर्मा
- घिरे कंटकों में सुमन पर खिलेंगे / रंजना वर्मा
- सदन शून्य में दीप जलता नहीं है / रंजना वर्मा
- तुम जो बोलो वही सही है / रंजना वर्मा
- कभी तो सुने तू हमारे भी नाले / रंजना वर्मा
- नित प्रेम की सु धार बहाती हैं नारियाँ / रंजना वर्मा
- जो जन शिव का नाम उचारे / रंजना वर्मा
- उम्र का दौर जाने किधर जायेगा / रंजना वर्मा
- वजह बिन फ़ासला होगा / रंजना वर्मा
- चला आ श्याम महफ़िल में / रंजना वर्मा
- मेरा मोहन सुन्दर श्याम सलोना है / रंजना वर्मा
- चलो रूप दें फिर धरा का निखार / रंजना वर्मा
- जाने अमृत होगा या कि गरल होगा / रंजना वर्मा
- जिंदगी में मुस्कुराना सीख ले / रंजना वर्मा
- स्वप्न में साँवरे तुझको न जो पाया होता / रंजना वर्मा
- अब कष्ट में हर एक को जीवन बिताना आ गया / रंजना वर्मा
- मनमोहन श्याम सलोना जब मेरे सपनों में आये / रंजना वर्मा
- सुमिरन करूँ गणेश तुम्हारा वन्दन माता / रंजना वर्मा
- मीत अब वो ही पुराने ढूँढते हैं / रंजना वर्मा
- यह निर्मम संसार नहीं है हमको भाता / रंजना वर्मा
- फूल सारे महकने लगे / रंजना वर्मा
- प्रभु का पा आशीष देह मानव की पाता / रंजना वर्मा
- जो गुरु चरण अनुरागते हैं भागते बिल्कुल नहीं / रंजना वर्मा
- पल पल है सुलगते मगर जलते कभी नहीं / रंजना वर्मा
- दया की जो आदत तुम्हारी न होती / रंजना वर्मा