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है जन्म पाया इस धरा पर सिर उठा अभिमान से / रंजना वर्मा

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है जन्म पाया इस धरा पर सिर उठा अभिमान से
भारत हमारा देश है यह बात कहिये शान से

जो जन्म देकर पालती है मात्र वह मिट्टी नहीं
बढ़ते सदा आगे रहें है मान इस के मान से

हो अर्चना नित भूमि की पूजें समझ कर देवता
अनुपम मिलेगी कीर्ति जग में मात्र इतने ज्ञान से

हो यत्न यदि सामर्थ्य भर पूरी करे निज कामना
संकल्प तो पूरे कभी होते नहीं अरमान से

हो चाह यदि सम्मान की सम्मान करना सीखिये
हर आदमी है चाहता जीना जगत में शान से

इस स्वार्थरत संसार में जीना नहीं आसान है
मति धैर्य केवल माँगिये यदि माँगिये भगवान से

है खो दिया यदि मान तो क्या अर्थ जीवन का रहा
कुछ काम हो ऐसा जियें जब तक रहें सम्मान से