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जब कभी हालात ने तोड़ा-मरोड़ा आदमी / अश्वनी शर्मा

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जब कभी हालात ने तोड़ा-मरोड़ा आदमी
हो गया कानून का तब से भगोड़ा आदमी।

आंधियों का भेद पाने की सनक में देखिये
है हवाओं में गया काफी झिंझोड़ा आदमी।

पालता है चींटियां औ कत्ल इंसां का करे
एक आफत है, बला है ये निगोड़ा आदमी।

जात इंसानी कहीं माकूल आ जाती उसे
आदमी ए काश होता और थोड़ा आदमी।

अब नहीं बाकी बची थोड़ी बहुत मासूमियत
सूखते अहसास ने ऐसा निचोड़ा आदमी।