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जब नसों में पीढियों की, हिम समाता है / ऋषभ देव शर्मा
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जब नसों में पीढ़ियों की, हिम समाता है
शब्द ऐसे ही समय तो काम आता है
बर्फ पिघलाना ज़रूरी हो गया , चूंकि
चेतना की हर नदी पर्वत दबाता है
बालियों पर अब उगेंगे धूप के अक्षर
सूर्य का अंकुर धरा में कुलबुलाता है